अंडा खाने के बाद अक्सर हम छिलके फेंक देते हैं क्योंकि इसे किसी काम का नहीं माना जाता है. वहीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं बेकार समझकर फेंक दिए जाने वाले अंडे के छिलके से हर साल लाखों कमा रहीं हैं... आइए जानते हैं कैसे..
ये बात जानकर आप जरूर हैरान रहे गए होंगे कि आखिर कैसे
ये महिलाएं अंडे के छिलके से अपनी मोटी कमाई कर रही है. बता दें,
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की ये महिलाएं इन अंडे के छिलकों को खाद के रूप
में बदलकर मोटा पैसा कमा रही हैं. आय के लिए उनका निकाला हुआ ये तरीका
बेमिसाल है.
सरगुजा जिले की कलेक्टर रितु सेन ने यहां कि महिलाओं को बताया कि
आत्मनिर्भर बनना कितना जरूरी है. उन्होंने महिलाओं को रोजगार के साधन खोजने
में भी मदद की. रितु की मेहनत की रंग लाई और छत्तीसगढ़ की महिलाओं से ठान
लिया कि वह आत्मनिर्भर बनेंगी. महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह (Self-Help
Groups) के जरिए रोजगार के नए रास्ते तलाश किए. महिलाओं को कैंटीन
प्रशासकों, पार्किंग और यहां तक कि शहर में भी ठोस कचरे के रूप में
रोजगार के अवसर खोज निकाले. ऐसे करती हैं अंडे का छिलके का प्रयोग
जब महिलाओं ने देखा कि अंडे के छिलकों को लोग फेंक देते हैं तो उन्होंने इनका रिसाइकल करने के बारे में सोचा. आज ये महिलाएं अंडे के छिलकों से 'कैल्शियम पाउडर' और 'खाद' बना रही है. इसकी ट्रेनिंग उन्हें पर्यावरणविद सी. श्रीनिवासन दे रहे हैं. आपको बता दें, श्रीनिवासन एक ऐसे पर्यावरणविद हैं जो पिछले कई सालों से अपशिष्ट पदार्थों को रिसाइकल कर उन्हें काम का बनाने का काम कर रहे हैं.
कैसा होता है अंडे के छिलके से बना पाउडर
जो पाउडर अंडे के छिलकों से तैयार किया जाता है वह
मुर्गियों के खाने में मिला दिया है. जिससे उनके भोजन में कैल्शियम की
मात्रा बढ़ जाती है साथ मुर्गियां तंदरुस्त रहती हैं. वहीं पोल्ट्री सेंटर
के मैनेजर का कहना है कि महिलाओं के इस काम से पशुपालन में काफी मदद मिल
रही है. जहां महिलाएं ऐसा करके पैसे कमा रही है वहीं बेकार पड़ी चीजों का
सही निपटान हो रहा है.
वहीं एक ओर अंडे के छिलके से खाद बनाई जा रही है. श्रीनिवासन ने बताया-
बेकार पड़ी सब्जियों और हरे कचरे से खाद बनाना आसान होता है, लेकिन अंडे के
छिलकों से खाद बनने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है. वहीं उन्होंने बताया कि
अंडे के छिलके 95 प्रतिशत कैल्शियम कार्बोनेट के बने होते हैं. इनसे बनी
खाद पेड़- पौधों को काफी लाभ पहुंचाते हैं. बता दें, अगर ये महिलाएं 50-60
किलो अंडे के छिलके को रिसाइकल करती हैं. और वहीं मुर्गियों के खाने की
कीमत 500 से 600 रुपये प्रति किलो के आस-पास होती है तो 'स्वयं सहायता
समूह' में काम कर रही ये महिलाएं ये हर महीने 15,000 से 30,000 रुपये तक
कमाई करती होंगी.
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